कलमा पढ़ सकती हैं लेकिन जय श्रीराम के नारे से दिक्कत : अमित मालवीय

कोलकाता
नेताजी सुभाष जयंती पर आयोजित समारोह में मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के सामने 'जय श्रीराम' की नारेबाजी अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जहां एक तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता सरकारी कार्यक्रम में धार्मिक नारेबाजी को गलत करार दे रहे हैं। वहीं, बीजेपी के सोशल मीडिया सेल के चीफ अमित मालवीय ने इसको लेकर ममता बनर्जी पर तगड़ा निशाना साधा है। इस बीच, ममता के सामने 'जय श्रीराम' की नारेबाजी का मुद्दा सोशल मीडिया पर भी तेजी के साथ ट्रेंड कर रहा है। अमित मालवीय ने कहा कि स्‍टेज पर नारे जब लगे जब ममता बनर्जी बोलने के लिए उठी और उसी वक्‍त पीएम मोदी स्‍टेज पर आए।

 मालवीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार अपने कार्यक्रमों में कलमा पढ़वा सकती है लेकिन उन्‍हें जय श्री राम के नारे से आपत्ति है। अमित मालवीय ने कहा कि दुख की बात ये है कि उन्‍होंने इस मौके को अपनी सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए किया। आपको बता दें कि अमित मालवीय के अलावा पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रभारी कैलाश विजयर्गीय ने भी इसे लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। विजयवर्गीय ने कहा कि 'जय श्रीराम' नारे पर नाराज होना ममता बनर्जी की सोची समझी राजनीति का हिस्‍सा है। 

चुनाव आ रहे हैं, ममता को अल्‍पसंख्‍यकों के वोट चाहिए इसलिए इस मंच का उन्‍होंने लाभ उठा लिया। सिर्फ नारे की वजह से ममता बनर्जी का भाषण देने से इनकार करना उनकी हताशा को जाहिर करता है। विजयवर्गीय ने शनिवार को कहा कि उन्‍हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि 'जय श्रीराम' का नारा लगाने में क्‍या समस्‍या है और ममता जी इससे क्‍यों नाराज हो गईं। विजयवर्गीय ने कहा- 'मुझे लगता है कि जब ममता बनर्जी मंच पर भाषण देने के लिए उठ रही थीं तो उन्‍हें सम्‍मान देने के लिए नारेबाजी की गई। नारेबाजी के कारण ममता ने डायस छोड़ दिया, यह उनकी कुंठा जताता है।'
 

Source : Agency

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